18 Oct 2011

भारत और इंडिया !!




भारत को इंडिया से मिलाना होगा !
अब तो इन दूरियों को घटाना होगा !
राहुल बहुत भटक लिए गाँव-गाँव !!
अब तो ज़मीन पर लाना होगा पाँव !!

5 Oct 2011

दशहरा मुबारक !!



यहाँ सीता का होता हर दिन हरण !
राम है बेबस मांगते फिरते शरण !!
हनुमान भूले है अपने अद्भुत क्षण !
मुश्किल सा लगता है रावण मरण !!


आज स्त्री रूपी सीता असुरक्षित, सुच्चाई रूपी राम बेबस और सत्ता रूपी हनुमान अपनी शक्ति भूल बैठे है! रावण राज़ का शोर है !


हर साल दशहरा पे रावण का पुतला जलने पर भी ये मरता नहीं, जीवित रहता हैसाल दर साल इंसान के मन में !


आओ इस बार रावण का पुतला नहीं रावण की सोच को जला के भस्म करे !
दशहरा मुबारक !!

29 Sept 2011

सामान !!


आज फिर कुछ फ़िक्र धुए में उड़ा आया !
वो चाय की आखिरी प्याली गिरा आया !!
कल अब न था मुझे वापस वहां जाना !
आज ही मै अपना सामान समेट लाया !!
सामान - कुछ यादे ,कुछ मुलाकाते, ढेरो लम्हे !!

A235!

18 Sept 2011

मै अभी से हार क्यों मानू !!

फैसला अभी हुआ नहीं !
मै अभी से हार क्यों मानू !!
जग अभी जीता नहीं !
मै अभी से हार क्यों मानू !!
मज़िल अभी आई नहीं !
मै अभी से हार क्यों मानू !!
तूफ़ान भी टकराया नहीं !
मै अभी से हार क्यों मानू !!
विश्वास भी खोया नहीं !
मै अभी से हार क्यों मानू !!


14 Sept 2011

ख़ामोशी!!



अपराध और ताकत में चल रहा द्वंद है !
विकास की रफ़्तार तो पड़ गयी मंद है !!
लुटती आबरू पर आँखों में छाया धुंध है!
चरमराई व्यवस्था,कानून की धार कुंद है!!
खामोश है रहनुमा पर क्यों खामोश हम है  ?

8 Sept 2011

एक अधूरी दास्तान !

अनजान था सफ़र !
समुंदर का शोर था !!
घर से हम चल दिए !
मजिल की ओर थे !!
कुछ लोग थे मिले !
जो हमसफ़र बने !!
कुछ पल गए गुज़र !
कुछ कहानिया बनी !!
वक़्त निकल गया !
बस निशानियाँ रही !!
कभी वक़्त था बहुत !
अब बस दौड़ है मगर !!

एक अधूरी सी है दास्तान !
जो अब कभी पूरी न होगी !!

7 Sept 2011

"आखिर कब तक" से "अच्छा एक और" तक !!




आज फिर से दिल्ली में धमाका हुआ !
पर लोगो को दिवाली के पटाखे लगे !!
पल भर के लिए सब रुके, खबर सुनी !
फिर लग गए अपने अपने काम पर !!
वक़्त कहाँ रोज़ रोज़ धमाको के लिए !
जहाँ अपने मरे, वहाँ दुनिया रुक गयी !
वरना सब बदस्तूर, यु ही चलते रहे  !!
हम बच गए यही सबने खैर मनाई !
सब फिर खामोश अगले धमाको तक !!

"आखिर कब तक" से "अच्छा एक और" तक !!